दिपावली कब से मनाए, किन-किन देवी देवताओं की और कब करे पूजा
- Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
- Oct 23, 2019
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Updated: Oct 25, 2019
दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है और भाई दूज तक रहती है। धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबरे के साथ भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से घर में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। मान्यताएं हैं कि धनतेरस के दिन बर्तन, सोना-चांदि के सामान, झाडू आदि खरीदारी की जाती है। इस दिन खरीदे गए सामान से उसमें तेरह गुना वुद्धि होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर धनतेरस के दिन बर्तन क्यों खरीदे जाते हैं… कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। दरअसल इसी दिन सागर मंथन से भगवान धन्वंतरि उत्पन्न हुए थे। भगवान धन्वंतरि के उत्पन्न होने से ठीक दो दिनों के बाद देवी लक्ष्मी सागर मंथन से प्रकट हुईं। जिस समय भगवान आए थे तो उनके हाथ में एक कलश था इसलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के दिन धातु खरीदना शुभ माना जाता है लेकिन शुद्ध चांदी, सोना धातु, जैसे तांबा, कांसा, पीतल। इस दिन इन चीजों के खरीदने से इंसान की किस्मत बदलती है और लक्ष्मी कृपा बढ़ती है। इस दिन आप झाड़ू भी खरीद सकते हैं क्योंकि झाड़ू को देवी लक्ष्मी का प्रतिक माना जाता है। नई झाड़ू लाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा बहार चली जाती है और माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना सौभाग्यकारक माना जाता है। धनत्रयोदशी के दिन हाथ में चांदी के कलश के साथ भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था। धनतेरस में धन और तेरस शब्दों के बारे में मान्यता है कि इस दिन खरीदे गए धन (स्वर्ण, रजत) में 13 गुना अभिवृद्धि हो जाती है। चांदी खरीदने की परंपरा इसलिए भी है कि चांदी चंद्रमा का प्रतीक है और वह धन व मन दोनों के स्वामी हैं। चंद्रमा शीतलता का प्रतीक भी है और संतुष्टि का भी। इसलिए आज के दौर में जो संतुष्ट है, वही धनी और सुखी भी है। चांदी के अभाव में ताम्र, पीतल या फिर अन्य धातुओं का क्रय किया जाता है। ध्यान रहे कि स्टील के बर्तन और लोहा खरीदना अच्छा नहीं होता है। उनमें राहु का वास माना जाता है। अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस के दिन घर के मेन गेट पर बाहर की ओर 4 बातियों का दीपदान करना चाहिए। रात में इस दिन आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर के साथ मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। साथ ही भगवती लक्ष्मी को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा अवश्य अर्पित करना चाहिए

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