छठ पूजा उत्सव, विधि विधान व सामग्री
- Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
- Oct 28, 2019
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छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला लोक पर्व है। यह चार दिवसीय उत्सव है, जिसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और कार्तिक शुक्ल सप्तमी को इस पर्व का समापन होता है।
नहाय खाये (पहला दिन)
यह छठ पूजा का पहला दिन है। नहाय खाय से मतलब है कि इस दिन स्नान के बाद घर की साफ-सफाई की जाती है और मन को तामसिक प्रवृत्ति से बचाने के लिए शाकाहारी भोजन किया जाता है।
खरना या लोहंडा(दूसरा दिन)
खरना, छठ पूजा का दूसरा दिन है। खरना का मतलब पूरे दिन के उपवास से है। इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करता है। संध्या के समय गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करती हैं, साथ ही घर के बाकि सदस्यों को इसे प्रसाद के तौर पर दिया जाता है।
संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)
छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। शाम को बाँस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रति अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य के समय सूर्य देव को जल और दूध चढ़ाया जाता है और प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है। सूर्य देव की उपासना के बाद रात्रि में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।
उषा अर्घ्य (चौथा दिन)
छठ पर्व के अंतिम दिन सुबह के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद छठ माता से संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगा जाता है। पूजा के बाद व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है।
छठ पूजा विधि
छठ पूजा से पहले निम्न सामग्री जुटा लें और फिर सूर्य देव को विधि विधान से अर्घ्य दें।
1. बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास
2. चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी
3. नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई
4. प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें।

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