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आर्थिक ,पारिवारिक, समस्याएं, संतान संबंधी चिन्ताएं, व्यावसायिक समस्याएं,स्वास्थ्य समस्याएं, चोरी की

  • Writer: Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
    Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
  • Apr 22, 2018
  • 4 min read

आजकल वास्तुशास्त्र का बोलबाला है। एक सामान्य से घर को वास्तु के इतने जटिल नियमों में बाँध दिया जाता है कि जिन्हें पढ़कर मनुष्य न केवल भ्रमित हो जाता है वरन जिनके घर पूर्णत: वास्तु अनुसार नहीं होते, वे शंकाओं के घेरे में आ जाते हैं। ऐसे मनुष्य या तो अपना घर बदलना चाहते हैं या शंकित मन से घर में निवास करते हैं। वास्तु विज्ञान का स्पष्ट अर्थ है चारों दिशाओं से मिलने वाली ऊर्जा तरंगों का संतुलन...। यदि ये तरंगें संतुलित रूप से आपको प्राप्त हो रही हैं, तो घर में स्वास्थ्य व शांति बनी रहेगी अन्यथा वास्तु दोष से होने वाले दुष्प्रभाव कुछ इस तरह के है- आर्थिक समस्याएं- आर्थिक उन्नति न होना, धन का कहीं उलझ जाना, लाभों का देरी से मिलना, आय से अधिक व्यय होना, आवश्यकता होने पर धन की व्यवस्था ना हो पाना, धन का चोरी हो जाना आदि। पारिवारिक समस्याएं- वैवाहिक संबंधों में विवाद, अलगाव, विवाह में विलम्ब, पारिवारिक शत्रुता हो जाना, पड़ोसियों से संबंध बिगड़ना, पारिवारिक सदस्यों से किसी भी कारण अलगाव, विश्वासघात आदि। संतान संबंधी चिन्ताएं- संतान का न होना, देरी से होना, पुत्र या स्त्री संतान का न होना, संतान का गलत मार्ग पर चले जाना, संतान का गलत व्यवहार, संतान की शिक्षा व्यवस्था में कमियां रहना आदि। व्यावसायिक समस्याएं- कैरियर के सही अवसर नहीं मिल पाना, मिले अवसरों का सही उपयोग नहीं कर पाना, व्यवसाय में लाभों का कम होना, साझेदारों से विवाद, व्यावसायिक प्रतिद्वन्द्विता में पिछड़ना, नौकरी आदि में उन्नति व प्रोमोशन नहीं होना, हस्तान्तरण सही जगह नहीं होना, सरकारी विभागों में काम अटकना, महत्वाकांक्षाओं का पूरा नहीं हो पाना आदि। स्वास्थ्य समस्याएं- भवन के मालिक और परिवार जनों की दुर्घटनाएं, गंभीर रोग, व्यसन होना, आपरेशन होना, मृत्यु आदि। कानूनी विवाद, दुर्घटनाएं, आग, जल, वायु प्रकोप आदि से भय, राज्य दण्ड, सम्मान की हानि आदि भयंकर परिणाम देखने को मिलते हैं।

चोरी की समस्याएं- किसी घर में चोरी क्यों होती है? सुरक्षा की कमी और मालिक की लापरवाही। लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे कि वास्तुदोष भी किसी घर में चोरी कराने में अहम भूमिका निभाता है। घर में कुछ उत्पन्न वास्तुदोष भी चोरी के लिए जिम्मेदार होता है। घर मे अदृश्य शक्तियाँ भी प्रवेश करती है जिसके कारण परिवार के सदस्यों का मानसिक संतुलन बिगडता रहेता है और तनाव महेसुस होता रहेता है। किसी ने कुछ कर दिया है अथवा देखने में तो सब ठीक है परन्तु आपके पितर रुष्ट है येसा निदान निकलता है..आदि..आदि..। इन सब समस्या के निवारण हेतु ही आज का यह लेख है जिसमे पुर्ण विधि-विधान दे रहा हूं। यह "वास्तु भगवती" पूजन है जिससे समस्त प्रकार के वास्तुदोषो का निवारण होते देखा गया है। इस साधना से शीघ्र लाभ देखने मिलता है,यह साधना वैदिक के साथ तांत्रोत्क भी है। इसमे साधना से पुर्व ही सामग्री को तयार रखे और साधना के माध्यम से स्वयं ही अपने वास्तु को दोषमुक्त करे तो आपको अलग ही आनंद का  अनुभुती होगा। किसी भी शुभ अवसर पर प्रातः इस कर्म को सम्पादित कर लेना चाहिए । यदि हम विशेष मुहूर्त पर कर लें तो कई दृष्टि से ये बहुत ही अद्भुत विधान साबित होगा,दिशा पूर्व,वस्त्र व आसन श्वेत या रक्त होंगे । साधना सामग्री:- पूजन सामग्री में आप "वास्तु भगवती महायंत्र" और "ह्रीं शक्ति माला",कुमकुम मिश्रित आधा किलो अक्षत की व्यवस्था कर लें और जो भी सामान्य पूजन सामग्री और पुष्प आदि हों,उनकी भली भाँती व्यवस्था कर लें । निम्न मन्त्रों का मात्र १ बार ही उच्चारण करना है और यन्त्र पर अक्षत डालते जाना है- ॐ त्रयम्बकायै नमः ॐ आद्ये लक्ष्म्यै नम: ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम: ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नम: ॐ अमृत लक्ष्म्यै नम: ॐ लक्ष्म्यै नम: ॐ सत्य लक्ष्म्यै नम: ॐ भोगलक्ष्म्यै नम: ॐ योग लक्ष्म्यै नम: ॐ वसुन्धरायै नमः ॐ उदाराङ्गायै नमः ॐ हरिण्यै नमः ॐ हेममालिन्यै नमः ॐ धनधान्य कर्यै नमः ॐ सिद्धये नमः ॐ स्त्रैण सौम्यायै नमः ॐ शुभप्रदायै नमः ॐ नृपवेश्म गतानन्दायै नमः ॐ वरलक्ष्म्यै नमः ॐ वसुप्रदायै नमः ॐ शुभायै नमः ॐ हिरण्यप्राकारायै नमः ॐ समुद्र तनयायै नमः ॐ जयायै नमः ॐ मङ्गलायै नमः ॐ देव्यै नमः ॐ विष्णु वक्षःस्थल स्थितायै नमः ॐ विष्णुपत्न्यै नमः ॐ प्रसन्नाक्ष्यै नमः ॐ नारायण समाश्रितायै नमः ॐ दारिद्र्य ध्वंसिन्यै नमः ॐ सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः ॐ नवदुर्गायै नमः ॐ महाकाल्यै नमः ॐ ब्रह्म विष्णु शिवात्मिकायै नमः ॐ त्रिकाल ज्ञान सम्पन्नायै नमः ॐ भुवनेश्वर्यै नमः ॐ प्रजापतये नमः ॐ हिरण्यरेतसे नमः ॐ दुर्धर्षाय नमः ॐ गिरीशाय नमः ॐ गिरिशाय नमः ॐ अनघाय नमः ॐ भुजङ्ग भूषणाय नमः ॐ भर्गाय नमः ॐ गिरिधन्वने नमः ॐ गिरिप्रियाय नमः ॐ कृत्तिवाससे नमः ॐ पुरारातये नमः ॐ भगवते नमः ॐ प्रमधाधिपाय नमः ॐ मृत्युञ्जयाय नमः ॐ सूक्ष्मतनवे नमः ॐ जगद्व्यापिने नमः ॐ जगद्गुरवे नमः ॐ व्योमकेशाय नमः ॐ महासेन जनकाय नमः ॐ चारुविक्रमाय नमः ॐ रुद्राय नमः ॐ भूतपतये नमः ॐ स्थाणवे नमः ॐ अहिर्भुथ्न्याय नमः ॐ दिगम्बराय नमः ॐ अष्टमूर्तये नमः ॐ अनेकात्मने नमः ॐ स्वात्त्विकाय नमः ॐ शुद्धविग्रहाय नमः ॐ शाश्वताय नमः ॐ खण्डपरशवे नमः ॐ अजाय नमः ॐ पाशविमोचकाय नमः ॐ मृडाय नमः ॐ पशुपतये नमः ॐ देवाय नमः ॐ महादेवाय नमः

"ह्रीं शक्ति माला" से "वास्तु भगवती" मंत्र के पहले और बाद में "ह्रीं"बीज मंत्र का ३-३ माला करें और २१ माला जाप "वास्तु भगवती" मंत्र का करें- वास्तु भगवती मंत्र- ॐ ह्रीं नमो भगवती वास्तु देवतायै नमः ||

om hreem namo bhagawati vastu devataayei namah हाथ जोड़कर आद्य शक्ति से क्षमा याचना करें- इसके बाद मातारानी की आरती संपन्न करें और महायंत्र को पूजन स्थल में ही स्थापित कर दें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें.ये महत्वपूर्ण विधान व यन्त्र आपके जीवन को उन्नति से युक्त और बाधाओं से विहीन करे,यही मैं माँ भगवती और मेरे सदगुरुदेव के श्री चरणों में प्रार्थना करता हूँ । उम्मिद करता हू आप सभी साधना प्रयोग से लाभ उठाने हेतु अपने इच्छाशक्ति को मजबूत बनायेगे । "वास्तु भगवती महायंत्र" और "ह्रीं शक्ति माला" प्राप्त करने हेतु व अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करे।

आचार्य महेश भारद्वाज शास्त्री 

जनक गार्डन बाद कालोनी रोड पानीपत (हरियाणा) भारत मो. 9813739222

 
 
 

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