top of page
Search

पितृदोष कैसे होता है, कितने प्रकार का व समाधान

  • Writer: Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
    Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
  • Mar 1, 2018
  • 4 min read

1. कुंडली में यदि सूर्य खराब अशुभ स्थिति में हो, राहु केतु शनि से दूषित पीड़ित (अशुभ योग संबंध केंद्र षडाष्टक, द्विद्वादश, प्रतियोग) में हो तो सूर्य जिस वस्तु का कारक है जैसे खनिज पत्थर, शिव, पशु, वन पर्वत, वृक्ष-वनस्पति को घर या घर के सामने अथवा आसपास में स्थापित करें। 2. आयु और ज्ञान में श्रेष्ठ व्यक्ति की मजाक, हंसी, नकल उतारने से भी सूर्य दूषित पीड़ित होता है अत: इससे बचें। पितृदोष के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं: (क) बहन पुत्री का ऋण : बहन या पुत्री के साथ धोखा करना, उनकी इज्जत लूटना, जुल्म अत्याचार करना, हक दबाना, छीनना, हत्या करना, लालच में आकर उसे बेच देना। यह सभी कृत्य भयंकर पाप की श्रेणी में आते हैं तथा श्राप (ऋण) के रूप में भोगने ही पड़ते हैं। जातक के परिवार में प्रत्यक्ष लक्षण: आर्थिक तंगी, घर की बहन पुत्री के विवाह के समय दुर्घटना, मृत्यु, समय से पहले वृद्धावस्था के लक्षण पिचके गाल, सफेद बाल, झुर्रियां पडऩा आदि दिखाई पडऩा, जीने की इच्छा न रहना, स्त्री का सुख न मिलना, ननिहाल या ससुराल के वंश का नाश होना, कोई नाम लेने वाला भी न रहना। कुंडली की ग्रह स्थिति से पहचान: कुंडली के 3 या 6 भाव में चंद्रमा होने पर बुध दूषित पीड़ित होता है और बुध ही ऊपर लिखे अशुभ फल देता है। मुक्ति का उपाय : परिवार के सभी सदस्यों के समान रूप से चंदे का पैसा इकट्ठा कर बुध के दिन यथाशक्ति 11 से लेकर 101 कन्याओं को हलवा, पुड़ी, खिलाकर दक्षिणा देने तथा कन्याओं का आशीर्वाद लेने से ऋण मुक्ति हो जाती है। ध्यान रहे कि यह कार्य पूर्ण श्रद्धा से किया जाए तथा बेमन बेगार की तरह न भुगता जाए। (ख) स्त्री ऋण : किसी लालच के कारण गर्भवती स्त्री की हत्या करना, उसे मारना, पीटना, लूटना, उसका अपमान करना या बलात्कार करना। यह सभी कृत्य भयंकर पाप की श्रेणी में आते हैं तथा इन पापों का परिणाम भोगना ही पड़ता है। जातक के परिवार में प्रत्यक्ष लक्षण: सुख के समय मांगलिक बेला में किसी की मृत्यु होने पर दुख भोगना, अकारण रोने लगना। कुंडली में जब शुक्र पीड़ित होता है तो ऊपर लिखे फल भोगने पड़ते हैं। कुंडली में सूर्य चंद्रमा राहु 2 या 7 भाव में होने से शुक्र दूषित होकर पीड़ित होता है यदि शुक्र 7 या 8 भाव में न हो। इसे स्त्रीऋण का कुंडली में प्रकट लक्षण समझना चाहिए। मुक्ति का उपाय : परिवार के सभी सदस्यों समान पैसे चंदे के रूप में इकट्ठा करके एक ही दिन एक ही समय में 101 गायों को चारा दाना खिलाने से मुक्ति मिल सकती है किन्तु ध्यान रहे कि कोई भी गाय अंगहीन न हो। (ग) निर्दयी का ऋण : किसी जीव की हत्या करना, किसी भी अचल सम्पत्ति मकान, दुकान धोखे से छल से हड़प लेना, निराश्रितों को उनके आश्रय से भगाकर मकान दुकान बनवाना। प्रत्यक्ष लक्षण : मकान बनवाते समय वर्षा शुरू होकर लगातार होती रहे, बंद न हो, जातक के परिवार में दुर्घटना, पलकों और भौहों के बाल झड़ाना, जातक के अपराध के कारण उसके परिवार या ससुराल वालों को पुलिस सताए, परिवार के सदस्य मृत्यु के कारण एक-एक कर काम होते जाना। जातक की कुंडली की ग्रह स्थिति से पहचान : कुंडली के 10 या 11 भाव में सूर्य चंद्रमा मंगल के बैठने पर शनि दूषित पीड़ित होता है तथा इससे निर्दयी का ऋण प्रकट होता है। मुक्ति के उपाय (शाकाहारी जातकों के लिए) परिवार के सभी सदस्यों के समान पैसा चंदे के रूप में एकत्रित कर किसी दिन एक साथ एक ही समय में 100 से अधिक मजदूरों को भोजन कराएं अथवा कौओं को लगातार 43 दिन तक भोजन खिलाएं। (मासांहारी जातकों के लिए) सौ स्थानों की मछलियों को खाने हेतु आटे की सूखी गोलियां डालें। इन उपायों से शनि के दोष का निवारण होता है। (घ) ईश्वरीय ऋण : बुरी नीयत से कुत्तों को मारना या मरवाना, फकीरों साधुओं को कष्ट देना, धोखा, विश्वासघात षड्यंत्र कर किसी के वंशजों की हत्या करना, कबूतर मारना, व्यर्थ की जीव हत्या करना। प्रत्यक्ष लक्षण : जातक को दूसरों के पुत्रों का पालन करना पड़ रहा हो। यात्रा में या प्रवास में धन खो जाए या चोरी ठगी करके हड़प लिया जाए। परिवार में पुत्र संतान जन्म न ले, जन्म लेते ही लगातार रोगी रहे। जातक की कुंडली की ग्रह स्थिति से पहचान : बृहस्पति केंद्र (1, 4, 7, 10) में हो तथा शनि 2, 3, 6 भाव में हो अथवा शुक्र 5, 6 भाव में हो अथवा बुध 3, 6 भाव में हो तो बृहस्पति दूषित (पीड़ित) होने से ऊपर लिखे ईश्वरीय ऋण के लक्षण प्रकट होते हैं। मुक्ति के उपाय : परिवार के सभी सदस्यों से समान पैसा चंदा करके एक ही दिन में लगभग 100 कुत्तों को रोटी खिलाएं। विधवा स्त्री की सेवा करें। कोई काम करने से पहले नाक साफ करें। बृहस्पति की पूजा करें। पितरों का श्राद्ध करें। नोट : कुंडली में 2, 5, 7 में से किसी भाव में बुध शुक्र राहु हों तो बृहस्पति पीड़ित होता है। मकान के पड़ोस में कोई मंदिर या पीपल का पेड़ नष्ट करने से पितृदोष बनता है। पितृगायत्री, गायत्री ,शतचण्डी अघोर मंत्र, नारायण बली, नाग बली‌ आदि करवानी चाहिए। 

 
 
 

Recent Posts

See All

Comentários


Address

jyotish anusandhan kendra reg.

Contact

Follow

  • Facebook

9813739222

©2017 BY MAA DUKH HARNI. PROUDLY CREATED WITH WIX.COM

bottom of page