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17 अक्टूबर को मनाया जाऐगा धनतेरस का पर्व। धन तेरस का महत्व

  • Writer: Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
    Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
  • Oct 15, 2017
  • 2 min read

दिवाली के त्यौहार की शुरुआत धन तेरस से होती है। धन का मतलब पैसा और सम्पति होता है और तेरस कृष्णा पक्ष का तेरवां दिन है। यह कार्तिक मॉस में आता है। हिन्दू समाज में धनतेरस सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा का बड़ा महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में स्कन्द पुराण में लिखा है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धन्वंतरि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस (Dhanteras) के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है। धन तेरस पूजा विधि  एक लकड़ी के बेंच पर रोली के माध्यम से स्वस्तिक का निशान बनाये।फिर एक मिटटी के दिए को उस बेंच पर रख कर जलाएं।दिए के आस पास तीन बारी गंगा जल का छिडकाव करें।दिए पर रोली का तिलक लगायें। उसके बाद तिलक पर चावल रखें।दिए में थोड़ी चीनी डालें।इसके बाद 1 रुपये का सिक्का दिए में डालें।दिए पर थोड़े फूल चढायें।दिए को प्रणाम करें।परिवार के सदस्यों को तिलक लगायें।अब दिए को अपने घर के गेट के पास रखें। उसे दाहिने तरह रखें और यह सुनिश्चित करें की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।इसके बाद यम देव के लिए मिटटी का दिया जलायें और फिर धन्वान्तारी पूजा घर में करें।अपने पूजा घर में भेठ कर धन्वान्तारी मंत्र का 108 बार जाप करें। “ॐ धन धनवंतारये नमःजब आप 108 बारी मंत्र का जाप कर चुके होंगे तब इन पंक्तियों का उच्चारण करें “है धन्वान्तारी देवता में इन पंक्तियों का उच्चारण अपने चरणों में अर्पण करता हूँ।धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करना अनिवार्य है।भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिटटी के दियें जलाएं। धुप जलाकर उनकी पूजा करें। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढायें और मिठाई का भोग लगायें। धनतेरस 2017(Dhanteras 2017) साल 2017 में धनतेरस का त्यौहार 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा।  धनतेरस के दिन खरीददारी (Shoping on Dhanteras in Hindi) नई चीजों के शुभ आगमन के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धन्वंतरि जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।

धनतेरस कथा (Dhanteras Katha in Hindi) कहा (Dhanteras Story in Hindi) जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सायंकाल को यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है। 

 
 
 

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