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17 सितम्बर 2017को सूर्य 00: 42 में कन्या राशि में प्रवेश करेगा और 17 अक्टूबर 2017 को 12/37 तक कन्या

  • Writer: Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
    Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
  • Sep 17, 2017
  • 6 min read

सूर्य सिद्धान्त के अधिष्ठाता भगवान सूर्य अपनी गत्यात्मक अवस्था में कन्या राशि में प्रवेश कर रहे है। 17 सितम्बर 2017को सूर्य 00: 42 में कन्या राशि में प्रवेश करेगा और 17 अक्टूबर 2017 को 12/37  तक कन्या राशि में रहेगा:- भुवन भास्कर भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं उपनिषदों में भगवान सूर्य के तीन रूपों का विवेचन हुआ- 1-निर्गुण-निराकार 2-सगुण-निराकार 3-सगुण-साकार छांदोपनिषद में सूर्य को ब्रह्म कि संज्ञा दी गयी,”आदित्यम ब्रहमेति”। भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया कि- “ॐ चित्रन देवानामुदगादनीकम चक्षुर्मित्रस्य वरूणस्याग्ने:। आप्रा द्यावापृथिवी अंतरिक्षम सूर्य आत्मा जगतस्तथुषश्च॥” अर्थात जो तेजोमय किरणों के पुंज हैं,मित्र,वरुण तथा अग्नि आदि देवताओं एवं समस्त विश्व के प्राणियों के नेत्र हैं और स्थावर-जंगमात्मक समस्त जीवनिकाय के अन्तर्यामी आत्मा हैं,वे भगवान सूर्य आकाश,पृथिवी और अन्तरिक्ष लोक को अपने प्रकाश से पूर्ण करते हुए आश्चर्य रूप से उदित हो रहे हैं। वशिष्ठ जी ने भी प्रार्थना करते हुए कहा कि,”जो ज्ञानियों के अंतरात्मा,जगत को प्रकाशित करने वाले,संसार के हितैषी,स्वयम्भू तथा सहस्त्र उद्दीप्त नेत्रों से सुशोभित हैं,उन अमित तेजस्वी सुर श्रेष्ठ भगवान सूर्य को नमस्कार है । आज संसार को प्रकाशित करने वाले तेजोमय,हितैषी, ग्रहों के राजा सूर्य कन्या राशि में गमन कर रहे हैं,आइये जाने सूर्य का पारगमन कन्या राशि में किस प्रकार के फल को प्रदान करेगा- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ मेष-  मेष राशि एवं लग्न वाले जातकों के लिए पंचमेश सूर्य की गोचर से छठवे भाव में स्थिति के कारण विद्या में परेशानी हो सकती है| परन्तु पराक्रम के द्वारा पूर्ण सफलता प्राप्त होगी| इस अवधि में शत्रु पराजित होंगे, शरीर स्वस्थ रहेगा, मान सम्मान की प्राप्ति होगी| सातवी दृष्टि से व्यय भाव पर दृष्टि होने के फलस्वरूप बाहरी स्थान से लाभ मिलेगा| विद्या के द्वारा बाहरी स्थान में मान सम्मान की प्राप्ति होगी| यात्रा का योग भी बन रहा है| संतान के प्रति चिंता रहेगी| रोग से मुक्ति मिलेगी| इ, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वु, वे, वो वृष: वृष राशि वाले जातकों के लिए चतुर्थेश सूर्य की पंचम भाव में गोचर से उपस्थिति के कारण बुद्धि एवं विद्या का पूर्ण लाभ प्राप्त होगा| कार्य में सफलता मिलेगी| संतान सुख उत्तम रहेगा एवं भूमि वाहन का भी पूर्ण सुख प्राप्त होगा| मोह के कारण मन अशांत रहेगा| किसी रोग के कारण शारीरिक कष्ट हो सकता है| आय स्थान पर सातवी दृष्टि के कारण विद्या के द्वारा आय में वृद्धि प्राप्त होगी| संतान के कारण कभी कभी मन में क्षोभ उत्त्पन्न हो सकता है| का, की, कु, घ, ड, छ, के, को, हा मिथुन:- मिथुन राशि एवं लग्न वाले जातकों के लिए तृतीयेश सूर्य की गोचर से चतुर्थ भाव में उपस्थिति के कारण पराक्रम के द्वारा राजदरबार में सफलता प्राप्त होगी| भाई बहन का सुख मिलेगा| पारिवारिक कलह के कारण मन अशांत हो सकता है| ज्वर आदि से शारीरिक कष्ट हो सकता है|  दशम भाव पर सातवी दृष्टि के फलस्वरूप पिता के सहयोग से सफलता प्राप्त होगी| इस अवधि में समाज में मान सम्मान मिलेगा एवं राजदरबार से लाभ मिलेगा| ही,  ही, हे, हो, डा डी, डू, डे, डो कर्क:- कर्क राशि एवं लग्न वालों के लिए द्वितीयेश सूर्य की गोचर से तृतीय भाव में उपस्थिति के कारण कुटुम्ब में हर्षपूर्ण वातावरण रहेगा| पराक्रम के द्वारा धन में वृद्धि प्राप्त होगी| छोटे भाई बहन के सम्बन्ध में कमी महसूस होगी इन्हें इस अवधि में शारीरिक कष्ट भी हो सकता है| भाग्य भाव पर सातवी दृष्टि होने के कारण जातक पराक्रम के द्वारा भाग्य में वृद्धि प्राप्त करेंगे  तथा समाज में सम्मानित किये जायेंगे| पराक्रम का इस अवधि में पूर्ण सुख प्राप्त होगा| मा, मी, मू, मे मो, टा, टी, टू, टे सिंह: सिंह राशि एवं लग्न वाले जातकों के लिए लग्नेश सूर्य की गोचर से द्वितिय भाव में उपस्थिति के कारण संचित धन में वृद्धि का योग है| कुटुम्ब का सुख प्राप्त होगा| द्वितिय भाव मारक भाव होने के कारण इस अवधि में नेत्र विकार से सम्बंधित कष्ट हो सकता है| ज्वर आदि के कारण स्वास्थ्य में कमजोरी महसूस होगी| अचानक धनहानि भी हो सकती है| कुटुम्ब के कारण विवाद भी हो सकता है| अष्टम भाव पर पूर्ण दृष्टि के कारण शरीर स्वस्थ रहेगा| अध्यात्म  क्षेत्र में लाभ की प्राप्ति होगी| साधना में सफलता मिलेगी| टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो कन्या: कन्या राशि एवं लग्न वाले जातकों के लिए व्ययेश सूर्य की गोचर से लग्न में उपस्थिति के कारण इस अवधि में शरीर अस्वस्थ रहेगा| खर्च की अधिकता के कारण मन अशांत रहेगा| क्रोध की अधिकता रहेगी| परिश्रम के अनुकूल फल की प्राप्ति न होने के कारण मन अशांत रहेगा| सप्तम भाव पर सातवी दृष्टि के कारण जीवनसाथी के साथ  मनमुटाव हो सकता है| रोजगार में हानि का योग है सोच समझ कर  निवेश करे| दाम्पत्य जीवन में कटुता का योग है| इस अवधि में जीवनसाथी को हड्डी एवं ज्वर आदि से कष्ट हो सकता है| सूर्य की उपासना करने से लाभ मिलेगा| रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते तुला: तुला राशि एवं लग्न वाले जातकों के लिए आयेश सूर्य की गोचर से व्यय भाव में उपस्थिति के कारण इस अवधि में निर्माणकारी कार्य में खर्च होगा| व्यय की अधिकता के होते हुए भी धन एवं आय में कमी नहीं होगी| नेत्र विकार से कष्ट का योग है| सातवी दृष्टि से शत्रु भाव को देखने के कारण शत्रु पराजित होंगे, एवं आय की वृद्धि में सहायक सिद्ध होंगे|इस अवधि में आय एवं व्यय दोनों बराबर होंगे| बाहरी स्थान से आय में वृद्धि का योग है| तो,ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू वृश्चिक: वृश्चिक लग्न एवं राशि वाले जातकों के लिए दशमेश सूर्य की आय स्थान में गोचर से उपस्थिति के कारण पदौन्नती का अवसर प्राप्त होगा| सरकारी कार्य एवं रोजगार में लाभ मिलेगा| पिता के रोजगार या सहयोग से आय में वृद्धि होगी| माता को ज्वर आदि से कष्ट का योग है| सातवी दृष्टि से पाचवे भाव को देखने के फलस्वरुप विद्या के प्रभाव से आय में वृद्धि का योग है| मान सम्मान बढेगा| संतान में वृद्धि का योग है| राजदरबार में लाभ मिलेगा| कुटुम्ब में मांगलिक कार्य होंगे| ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ, भे धनु: धनु लग्न एवं राशि वालों के लिए नवमेश सूर्य की गोचर से दशम भाव में उपस्थिति के कारण कार्य में सफलता प्राप्त होगी| जिस कार्य को प्रारंभ करेंगे उसी कार्य में सफलता प्राप्त होगी| पदौन्नती का अवसर प्राप्त हो सकता है| राज्य से मान सम्मान की प्राप्ति होगी| नए रोजगार का अवसर प्राप्त होगा| इस अवधि में समाज में प्रतिष्ठा बढेगी| सुख समृधि में वृद्धि होगी| चतुर्थ भाव पर पूर्ण दृष्टि के कारण भूमि वाहन का उत्तम सुख प्राप्त होगा| माता का शरीर स्वस्थ रहेगा| कार्य की सिद्धि में पिता का सहयोग मिलेगा| भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी मकर: मकर लग्न एवं राशि वालों के लिए अष्टमेश सूर्य की गोचर से भाग्य भाव मे उपस्थिति के कारण धार्मिक कार्य में अरुचि रहेगी| भाग्य का पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण कार्य के अनुसार सफलता प्राप्त नहीं होगी| नए कार्य में निवेश न करे हानि हो सकती है| शरीर स्वस्थ रहेगा एवं अध्यातम का पूर्ण सहयोग मिलेगा| साधना में वृद्धि प्राप्त होगी| तृतीय भाव पर दृष्टि के कारण पराक्रम का पूर्ण लाभ नहीं मिलेगा| इस अवधि में मित्र एवं भाई बहन से मतभेद हो सकता है| गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा कुंभ: कुंभ लग्न एवं राशि वालों के लिए सप्तमेश सूर्य की गोचर से अष्टम भाव में उपस्थिति के कारण दाम्पत्य जीवन में कटुता आ सकती है| सरकारी कर्यकाज में असफलता प्राप्त होगी| मन में भय उत्त्पन्न होगा| रोजगार में हानि एवं शारीरिक कष्ट का योग है| द्वितिय भाव पर सातवी दृष्टि के कारण नेत्र विकार से सम्बंधित कष्ट हो सकता है| कुटुम्ब में मतभेद के होते हुए भी सहयोग प्राप्त होगा| आकस्मिक धन लाभ हो सकता है| इस अवधि में कलह एवं विवाद के कारण मन में चिंता रहेगी| राजकीय कर्मचारियों से सावधान रहे इनके कारण हानि हो सकती है| दी दू, थ, झ, ञ दे, दो, चा, ची मीन: मीन लग्न एवं राशि वालों के लिए षष्ठेश सूर्य की गोचर से सप्तम भाव में उपस्थिति के कारण शत्रु का प्रभाव बढेगा एवं इनके कारण मन चिंतित रहेगा| जीवनसाथी को हड्डी से सम्बंधित रोग से कष्ट हो सकता है| इन जातकों को उदर विकार एवं गुदा रोग ( बवासीर आदि) से कष्ट हो सकता है| लग्न पर सातवी दृष्टि के कारण मन व्यथित एवं तनावपूर्ण रहेगा| राजकीय कार्य में असफलता प्राप्त होगी| ननिहाल पक्ष का सहयोग मिलेगा| 

 
 
 

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