सुन्दरकांड पाठ करने के लाभ व प्राप्त होने वाली सिद्धियां।
- Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
- Aug 22, 2017
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हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए अगर कोई सबसे सटीक उपाय है तो वह है हनुमानचालिसा तथा सुंदरकांड का पाठ हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए अगर कोई सबसे सटीक उपाय है तो वह है हनुमानचालिसा तथा सुंदरकांड का पाठ। इन दो में से कोई भी एक उपाय श्रद्धापूर्वक करने पर बजरंग बली अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनके सभी बिगड़े काम बना देते हैं। श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड अध्याय में बजरंग बली की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसमें विशेष रूप से हनुमान जी के विजय का गान किया गया है जो पढ़ने वाले में आत्मविश्वास का संचार करता है। सुंदरकांड पाठ की सबसे खास बात यह है कि इससे ना सिर्फ हनुमानजी का आशीर्वाद मिलता है बल्कि भगवान श्रीराम का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है। कुंडली के बिगड़े ग्रहों को संवार देता है सुंदरकांड का पाठ ज्योतिषियों के अनुसार विशेष रूप से शनिवार तथा मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करने वाले को सभी विपत्तियों से छुटकारा मिलता है और अनेकानेक अच्छे परिणाम सामने आते हैं। इसके सस्वर पाठ से घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियां यथा भूत-प्रेत, चुडैल, डायन आदि भी घर से चली जाती हैं। साथ ही घर के सदस्यों पर आए बड़े से बड़े संकटों सहज ही टल जाते हैं। इसके अलावा यदि जन्मकुंडली या गोचर में शनि, राहु, केतु या अन्य कोई दुष्ट ग्रह बुरा असर दे रहा है तो वह भी सहज ही टल जाता है। शनि की साढ़े साती व ढैय्या में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। ऐसे करें सुंदर कांड का पाठ सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से शनिवार तथा मंगलवार को करने पर सभी संकटों का नाश करता है। परन्तु आवश्यकता होने पर इसका पाठ कभी भी किया जा सकता है। पाठ करने से पहले भक्त को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद किसी निकट के मंदिर अथवा घर पर ही एक चौकी पर हनुमानजी की तस्वीर/ प्रतिमा को विराजमान कर स्वयं एक आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद बजरंग बली की प्रतिमा/ चित्र को सादर फूल-माला, तिलक, चंदन, आदि पूजन सामग्री अर्पण करनी चाहिए। यदि किसी हनुमान मंदिर में कर रहे हैं तो उनकी हनुमान प्रतिमा को चमेली का तेल मिश्रित सिंदूर भी चढ़ा सकते हैं। देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीगणेश, शंकर-पार्वती, भगवान राम-सीता-लक्ष्मण तथा हनुमान जी को प्रणाम कर अपने गुरुदेव तथा पितृदेवों का स्मरण करें। तत्पश्चात हनुमानजी को मन-ही-मन ध्यान करते हुए सुंदरकांड का पाठ आरंभ करें। पूर्ण होने पर हनुमानजी की आरती करें, प्रसाद चढ़ाएं तथा वहां मौजूद सभी लोगों में बांटे। आपके सभी बिगड़े हुए काम तुंरत ही पूरे होंगे।
सुन्दरकांड पाठ करने के लाभ
हनुमानजी को जल्द प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ किया जाता है और इस पाठ को करने वाले व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होने लगता है. क्या आप जानते हैं कि सुंदरकांड के पाठ को करने से क्या लाभ होते हैं और क्या है इसका धार्मिक महत्व? 1. इस कांड को क्यों बोला गया सुंदरकांड? हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी. त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था. दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी. इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी. इस कांड की यही सबसे प्रमुख घटना थी इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है. 2. शुभ अवसरों पर क्यों कराया जात है सुंदरकांड? शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है. शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है. किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा हो या फिर आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकांड करने की सलाह देते हैं. 3. जानें, सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से क्यों किया जाता हैं? माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं. सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है. जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं. इसमें हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है. इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है. 4. सुंदरकांड से मिलता है मानसिक लाभ? वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग हैं. संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती हैं. सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है. मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड हैं. सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है. 5. सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ? सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ, हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है. बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं. इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है.

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