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सोमवती अमावस्या का महत्व

  • Writer: Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
    Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
  • Aug 18, 2017
  • 1 min read

पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है।[3] अतः, सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भँवरी (परिक्रमा करना ) देता है, उसके सुख और सौभग्य में वृद्धि होती है। जो हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन १०८ वस्तुओं कि भँवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विधानसंपादित करें ऐसी परम्परा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपाड़ी की भँवरी दी जाती है।[3]उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने कि सामग्री इत्यादि की भँवरी दी जाती है। भँवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्रह्मण, ननद या भांजे को दिया जा सकता है। अपने गोत्र या अपने से निम्न गोत्र में वह दान नहीं देना चाहिए। 

 
 
 

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