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हरियाली तीज पर पौधारोपण से होगी मनोकामना पूर्ण ।

  • Writer: Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
    Astro Mahesh Jyotishacharya Guru ji
  • Jul 24, 2017
  • 1 min read

तीज पूर्ण रूप से स्त्रियों का उत्सव है।स्त्रियाँ आकर्षक परिधानों से सुसज्जित हो भगवती पार्वती की उपासना करती हैं।राजस्थान में जिन कन्याओं की सगाई हो गई होती है, उन्हें अपने भविष्य के सास - ससुर से एक दिन पहले ही भेंट मिलती है।इस भेंट को स्थानीय भाषा में "शिंझार" (शृंगार) कहते हैं।शिंझार में अनेक वस्तुएँ होती हैं। जैसे - मेंहदी, लाख की चूड़ियाँ, लहरिया नामक विशेष वेश–भूषा, जिसे बाँधकर रंगा जाता है तथा एक मिष्टान जिसे "घेवर" कहते हैं। तीज उत्सव की विशेष रस्म–बया इसमें अनेक भेंट वस्तुएँ होती हैं, जिसमें वस्त्र व मिष्ठान होते हैं। इसे माँ अपनी विवाहित पुत्री को भेजती है। पूजा के बाद 'बया' को सास को सुपुर्द कर दिया जाता है।पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी यदि कन्या ससुराल में है, तो मायके से तथा यदि मायके में है, तो ससुराल से मिष्ठान, कपड़े आदि भेजने की परम्परा है। इसे स्थानीय भाषा में 'तीज' की भेंट कहा जाता है।राजस्थान हो या पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रायः नवविवाहिता युवतियों को सावन में ससुराल से मायके बुला लेने की परम्परा है।सभी विवाहिताएँ इस दिन विशेष रूप से श्रृंगार करती हैं।सायंकाल बन ठनकर सरोवर के किनारे उत्सव मनाती हैं और उद्यानों में झूला झूलते हुए कजली के गीत गाती हैं। 

 
 
 

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